Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 2019
आज फिर बारिश ने छेड़ी है वही धुन
सोचा कहां खो गए हो गए गुम तुम
मिट्टी की खुशबू ने फिर याद दिलाई,
तुम्हारी कुछ बातें और वो दो प्याली चाय
तुम शायद यही कही हो,
बस फिरसे मिलने की देरी है
पता है मुझे तुम नही आने वाले
लेकिन क्या करूं इंतेज़ार करने की बुरी आदत ये मेरी है।
ABHIVYAKTI
Written by
ABHIVYAKTI  22/F/India
(22/F/India)   
  247
   Jayantee Khare and Aaditya
Please log in to view and add comments on poems