समक्ष युद्ध की शक्ति नहीं ये कायरता का वार है शांत सहृदय वीरों को ये दुश्मन की ललकार है समय नहीं अब निंदा का अब बातों का ना सार है भूत भगाना अब लातों से देश की यह हुंकार है
हमला करते मासूमों पर नर जात नहीं ये सियार है रक्त बूंद के बदले को अब हरेक सिंह तैयार है रक्तबीज के संहार को माता अब तैयार है वीरों को अब कोई न रोके जन जन की ये पुकार है
चैन से कोई सोये अब न वीरों की चीत्कार है अंगारों में हाथ है डाला अब मचेगा हाहाकार है सीमा पर अब होगी होली पास में ये त्यौहार है तब जाकर के मने दीवाली अब तो आर या पार है