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Feb 2019
समक्ष युद्ध की शक्ति नहीं
ये कायरता का वार है
शांत सहृदय वीरों को ये
दुश्मन की ललकार है
समय नहीं अब निंदा का
अब बातों का ना सार है
भूत भगाना अब लातों से
देश की यह हुंकार है

हमला करते मासूमों पर
नर जात नहीं ये सियार है
रक्त बूंद के बदले को
अब हरेक सिंह तैयार है
रक्तबीज के संहार को
माता अब तैयार है
वीरों को अब कोई न रोके
जन जन की ये पुकार है

चैन से कोई सोये अब न
वीरों की चीत्कार है
अंगारों में हाथ है डाला
अब मचेगा हाहाकार है
सीमा पर अब होगी होली
पास में ये त्यौहार है
तब जाकर के मने दीवाली
अब तो आर या पार है
Jayantee Khare
Written by
Jayantee Khare  45/F/Pune, India
(45/F/Pune, India)   
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