दस साल बाद मौका आया जब जुकाम ने ऐसा हिलाया आज फिर छठी का दूध याद आया फर्क बस यह है कि उस समय अपने पास थे आज अकेला छत को ताक रहा हूं बीते वर्षों के कहर याद कर रहा हूं क्यों तकलीफ में यादें नागिन सी जवां होती हैं और धीरे-धीरे डसती हैं क्यों मुश्किल समय में हम यादों का पीछा करते हैं और अपनी मजबूती को बंधक बना देते हैं।