आ मेरे धोरे गर्मी में खाटा- राबड़ी खूब पिलाऊं गहरी नींद का आनंद कराऊं लंच में हरी सांगरी का साग और फोगला रायता का स्वाद चखाऊं बाजरा का रोट खिलाऊं सांय मोठ बाजरा खीच खिलाऊं जिसमें आध पाव घी का आनंद दिलाऊं
आ मेरे धोरे बरसात में भूरी-भूरी रेत में चित्र बनवाऊं सोंधी मिट्टी की खुशबू दिलाऊं गुड़वानी का चूरमा खिलाऊं कैर-सांगरी और फोफलिया जैसे अद्भुत साग खिलाऊं हल में जुते ऊंट दिखाऊं।
आ मेरे धोरे शिशिर में काकड़,बेर,मतीरे का कातिसरा कराऊं और बाजरे के सीटे(बाली) चबवाऊं
आ मेरे ध़ोरे सर्दी में भैंस दूध का दही खिलाऊं काचर, फली की सब्जी खिलाऊं दाल बाटी चूरमा का भोग लगवाऊं त्योहार- मेलों की सैर कराऊं विवाहों के रिवाज दिखाऊं घूमर डांस में ठुमके लगवाऊं।
आ मेरे धोरे बसंत में होली के बहाने मद में झूमाऊं गणगौर मेले की सैर कराऊं खीर -ढोकला खूब खिलाऊं कृष्ण मृग अभयारण्य दिखाऊं।