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Shrivastva MK
Poems
Nov 2018
कुछ ने हमें अपना समझा और कुछ को लगा कितने बदल गए है हम,
आज आँखों मे आँसू लेकर देखो कितने सम्भल गए है हम,
कुछ ने हमें अपना समझा और कुछ को लगा कितने बदल गए है हम,
खैर आज हम ख़ामोश है क्योंकि ये वक़्त बेवक़्त हो गया है,
कल ख़ुश था मुझपर आज थोड़ा शख़्त हो गया है,
रौशनी की तलाश में ,अँधेरों में कितने ढल गए है हम,
कुछ ने हमे अपना समझा कुछ को लगा कितने बदल गए है हम,
ख़ैर ज़िन्दा हु मैं अभी पर थोड़ा अपनी साँसों से घबराया हुआ हूँ,
काश! मुझे भी थोड़ी जगह वहाँ मिल जाती जहाँ से मैं आया हुआ हूँ,
देखो आज ज़िन्दगी की इस दौर में कितने फिसल गए है हम,
कुछ ने हमे अपना समझा कुछ को लगा कितने बदल गए है हम,
दर्द खुद का नही अपनों का साथ छूट जाने का है,
शिकायत रब से भी नही वक़्त का वक़्त से पहले रुठ जाने का है,
रिश्ते निभाते निभाते रिश्तों की आग में ही जल गए है हम,
कुछ ने हमे अपना समझा कुछ को लगा कितने बदल गए है हम,
Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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