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Sep 2018
बीच रास्ते से यूँ ही हर बार लौटा लाते हैं मुझे ये मेरे कदम,
कि बर्दाश्त नहीं होता रस्ते में, उन लोगों की ज़िंदगी    का ग़म !!
Raj Bhandari
Written by
Raj Bhandari  Delhi, India
(Delhi, India)   
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