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Deovrat Sharma
Poems
Sep 2018
ममतामयी माँ
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दिन भर दोपहरी की तपती
चिलचिलाती धूप और लू के
थपेडों से त्रस्त थकी गोरैया
दिन के तीसरे पहर
सूरज की मध्यम सी
लालिमा से चमकते
तिनका-तिनका जोड कर
बडे जतन से बनाये गये
घोंसले में लौट आयी।
बेइन्ताह ख़ुशी से
चहचहाते फुदकते
चूज़ों से घिरी वह नन्ही चिड़िया
मातृत्व.से उद्दवेलित अपने बच्चों को
प्यार से सराबोर करते हुए
च़ुग कर लाया दाना दुनका
उनकी चोंच में डाल वो ममतामयी माँ
दिन भर की थकन विक्षोभ
परेशानी भूल गयी।।
●●●
©deovrat 14.09.2018
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
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