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Aug 2018
क़ब्ल की बातें
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कुदरत के करिश्मों का
मिलता नही ठिकाना।
दिल के धड़कते अरमाँ
साँसों का आना जाना।।

बावस्ता जहाँ की रौनक़
है चश्म-ए-बीनाई से।
गर बे-नूर हों ये आँखें
स्याह-ओ-बदरंग है ज़माना।।

फ़ितरत में थी फकीरी
अलमस्त था वो जीवन।
वो दोस्तों की महफ़िल
यह गर्दिश-ए-ज़माना।।

नीचे जमीं पे बिस्तर
सर पे फ़लक की चादर।
बेफिक्र सी वो दुनिया
अब  फिक्र-ए-आबोदाना।।

एक-रंगी अजीब सी है
सतरंगी जिन्दग़ी ये।
सब-कुछ हैं मन की बातें
हँसना-रोना-मुस्कराना।।

अक़ीबत की ना थी चिन्ता
बेफिक्र था वो बचपन।
मुझको दिला दो फिर से
वो वक़्त-ए-बसर ज़माना।।

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©deovrat 25.08.2018
अक़ीबत=future life
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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