Hello, Poetry?
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Deovrat Sharma
Poems
Aug 2018
गाफ़िल
●●●
लमहा लमहा साँसे तेरी सिमटती रही।
कब उम्र यूँ ही गुजरी पता ना चला।।
दिन महीने बने फिर वो साल बनते गये।
वक्त गया तो गया फिर वो चला ही गया।।
काले घुंघराले केशों पे तुझको बडा नाज़ था।
अब ना काले रहे ना वो अब घुंघराले हैं।।
केश श्याम से स्वेत कब और कैसे हुए।
तू समझ भी ना पाया, जोर कुछ ना चला।।
तुझको दुनिया में भेजा था उस ईश ने।
कुछ भलाई करे कुछ गाढी कमाई करे।।
सुभग-ओ-सुघर काया थी तुझको मिली।
रोगों ने कब तुझे आ घेरा पता ना चला।।
तू यूँ गाफ़िल हुवा इस चकाचौंध में
सारी पूँजी लुट गई तू देखता रह गया।।
है जो कुछ दिन का मेला ये रहे ना रहे।
फिर ये पंछी उडा और अकेला चला।।
इस भरम में तू जीता रहा ज़िन्दगी।
ये सारी दुनिया तेरे वास्ते है बनी।।
दरिया के रेत पर की इबारत है ये।
एक आयी लहर और सभी बह चला।।
नाज़-ओ-अंदाज़ पर तब फ़िदा थे सभी।
चाँद तारे, नज़ारे, फ़लक-ओ-ज़मीं
अब ना वो अंदाज़ है ना ही वो नाज़ है।
कब रहमतें सब गयी कुछ पता ना चला।।
रोज सूरज उगा जब भी आकाश में।
उसकी किरणों में संदेश इक तेज था।।
दिन का सोना और फिर रात भर जागना।
ये उलटी गंगा बही तू डुबकी लगाता रहा।।
अब कुछ होश कर अब तो कुछ ज्ञान कर।
अपने कर्मों पे बन्दे तू कुछ ध्यान कर।।
जाग कर के भी बिस्तर पे सोया है क्यूँ।
उठ चल कर आत्ममंथन संभल तू जरा।।
लमहा लमहा साँसे तेरी सिमटती रही।
कब उम्र यूँ ही गुजरी पता ना चला।।
जाग कर के भी बिस्तर पे सोया है क्यूँ।
उठ चल कर आत्ममंथन संभल तू जरा।।
●●●
©deovrat 06.08.2018
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
166
Jayantee Khare
,
Sparkle in Wisdom
and
Deovrat Sharma
Please
log in
to view and add comments on poems