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Aug 2018
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जिन्दग़ी में कई उलझने हैं
कितनी हैं दुश्वारियाँ।
हर कद़म पर ठोकरें हैं
तल्ख़ियाँ मक्कारियाँ।।
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नींद-ओ-चैन खो सा गया
हर ओर है बेचैनियाँ।
ज़ेरोज़बर है सबकी दुनियाँ
मुख़तलिफ़ हैं कहानियाँ।।
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ख़ुदगर्जी में अब गर्क है
इमां पे चलने का चलन।
वो मरासिम-ओ-जहानत
सब लगती हैं नादानियाँ।।

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©deovrat 02.08.2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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   Jayantee Khare and Edmund black
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