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Jul 2018
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भीगे मौसम मे उसके ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

झील सी गहरी  निगाहों में सिमटी।
दूर तक फैली चाँदनी की झ़लक।।

सुरमयी श़ाम में  धीमी धीमी सी बयार।
मोगरे-रात की रानी-ओ-चम्पा  की महक।।

लरज़ते लब-ओ-तब़स्सुम का तिलिस्मी।
उस प धवल मैक्तिकय दंतुली की दम़क।।

आसमाँनों की वो रौनक परिस्त़ां से उतरी।
मराल सी चाल पग में पायल की झनक।।

भीगे मौसम मे तेरे ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

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©deovrat 24-07-2018
Deovrat Sharma
Written by
Deovrat Sharma  58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)   
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