Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
May 2018
सूखा , बंजर पड़ा है नसीब मेरा ,
नेमत की बूंदों से नियति भीगा दे .।

तृषित तकदीर मेरी कराहती बरसों से ,
उम्मीद के नीर का स्वाद चखा दे ।

लिख मेरी किस्मत में सुकून को ऐ खुदा ,
या बुलाके तेरे आशियानें में ,
जन्नत से रूबरू करा दे ।
Bhakti
Written by
Bhakti  26/F/India,Indore
(26/F/India,Indore)   
  371
     Rajinder and Jayantee Khare
Please log in to view and add comments on poems