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Shrivastva MK
Poems
Apr 2018
क्यों चले गए तुम यू हमसे मुँह मोड़कर
क्यों चले गए तुम
यू हमसे मुँह मोड़कर
मेरे सारे अरमां
मेरे सारे सपनों को तोड़कर
ज़िन्दगी लूटा देता सारा अपना
यदि सिर्फ एक बार कहते मुड़कर
सारी कायनात से लड़ जाता तुम्हारे लिए
अगर ना जाते मेरा दिल तोड़कर,
आँखे भर जाती हमेशा मेरी
तुम्हें याद कर कर,
क्यों चले गए तुम
हमसे यू मुँह मोड़कर
ख़ुद से किया था वादा हमने
हरपल साथ निभाते हमसफ़र बनकर,
पर हमें क्या पता था
मुस्कुराते हुए चले जाओगे तुम मेरा दिल तोड़कर,
याद रहेंगे वो पल हमे
जो चले गए तुम भूलकर,
आख़िर क्यों चले गए तुम
यू हमसे मुँह मोड़कर
हमसे मुँह मोड़कर......
#hindi
#sad
Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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