प्यार चुन चुन के करती हूँ कभी तुम्हारे आँखों से जिसमें मिट्टी बहती है कभी तुम्हारी बातों से जो ख़ुद में मशरूफ़ रहती हैं कभी तुम्हारे हाथों से जो ज़ुल्फ़ों को सहलाते हैं कभी तुम्हारे होठों से जो ग़ुस्सा पिघलाते हैं और कभी तुम्हारी धड़कन से जो वक़्त को रोक लेती है