Hello Poetry,
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Deovrat Sharma
Poems
Feb 2018
मासूमियत
.......
क्यूँ ख़यालों में भी..
आकर ना जीने देते !
हर श: के अक्श में..
अगर्चे शामिल तुम हो !!
तेरी परछाई को भी..
ना रास आई मेरी तन्हाई !
फिर भी मुझसे कहते हो..
"इतने तन्हा क्यूँ हो" ?
जबकि मामूल ये ज़माना..
है बड़ा ही हरजाई !
यूँ तो ज़ाहिर है मेरी..
तन्हाई के बायिस तुम हो !!
दर्द-ए-दिल मेरा ये..
आपकी इनायत है !
फिर ये पूछते हो कि..
रंज-ओ-ग़म सहते क्यूँ हो ?
*
*deovrat - 23.02.2018 (c)
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
145
Demonatachick
,
Murari mohan
,
Deovrat Sharma
and
Jayantee Khare
Please
log in
to view and add comments on poems