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Feb 2018
ये इसलिये नही की आज दिन है मोहोब्बत बया करने का
फकत उम्मीद हुई कि आज के दिन , इश्क की इश्क फरियाद करता होगा

सच है कि अब गैर दामन है , तेरी मोहोब्बत समेटने को
पर लगा कि मेरा साया तुझे छू के गुजरता होगा

वो जो मासूमियत ओढ़े हुए , ख्वाबो के साथ जब गहरी नींद में सोते थे
वो खूबसूरत नजारा अब किसी ओर की आँखों में संवरता होगा

सच है कि आजतक रूबरू नही मैं उस वजह से की तू चला गया अचानक
पर एक अजीब सा बेखोफ याकिन है कि तेरे दिल के एक कतरे में अब भी मेरा अश्क सजता होगा

थक कर जिस रात , एक बेमतलब , बेवजह वो पहली मोहोब्बत याद आती होगी
नर्म बिस्तर पर मेरी ही तरह तू भी सारी रात करवटें बदलता होगा
Bhakti
Written by
Bhakti  26/F/India,Indore
(26/F/India,Indore)   
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