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Nov 2017
इस अंधेरी रात में दिए की एक लौ ही काफी है
जिन्दगी जीने के लिए आशा की एक वजह ही काफी है
जब तक तेरा साथ है जिन्दगी हसीन है
तेरे बिना मेरे कर्म कर्महीन हैं
जिन्दगी पूरी होते हुए भी अधूरी है
सुलझे डोर भी अनसुलझी पहेली है
इस अंधेरी निशा में मेरी दामिनी
मेरी जिन्दगी का वो खिलता गुलाब का फूल
जिसके न कोई साथी न शूल।
Surbhi Dadhich
Written by
Surbhi Dadhich  18/F/India
(18/F/India)   
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