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Nov 2017
दिल की गलियों में इतना अंधेरा सा क्यों है,
प्यार का हर फूल इतना बिखरा सा क्यों है,
जिसे हर वक़्त सजाया करता था मैं,
वही बाग आज इतना उजड़ा सा क्यों है।

मेरी ज़िन्दगी इतनी झूठी सी क्यों है,
मेरी किस्मत इतनी फूटी सी क्यों है,
जो पल हमे एक नई मुस्कुराहट देती है,
वही पल आज इतनी रूठी सी क्यों है।

मेरे हर ख्वाब आज इतना अनजान सा क्यों है,
मेरा प्यार आज इतना बदनाम सा क्यों है,
जिसे मैंने अपनी ज़िन्दगी नाम दिया था,
वही आज इतना बेनाम सा क्यों है..........
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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