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Jul 2016
बीरता मे उम्र का अहमीत्व नहीं।
रणभूमि कायरों का दायित्व नहीं।
संघर्ष वहीं कर सकता है,
जो मृत्यु डर का परीत्यक्ता है।

जो कायर हैं डर जाते हैं।
वह दोषी पर को बताते हैं।
जिसने समय बंध को तोडा है।
इतिहास में लीक वो छोडा है।

कुछ सीमा हैं देव और दानव को।
पर असंभव क्या है मानव को।
ऐसा ही वीर काल का जेता।
योद्धा हुआ एक हृदय विजेता।

अर्जुन जिसके पिता और सुभद्रा जिसकी माता।
उसके रग-रग मे वीरत्व का ओज नहीं क्यों आता।
बडे पिता धर्मज्ञ युद्धिष्ठीर, चाचा जिसके भीम।
श्रीकृष्ण का भांजा थे पितामह जिसके भीष्म।

पुष्ट भुजाएं जिसकी और थी चौड़ी सी छाती।
कसे हुए बदन पर लेकिन कोमलता मदमाती।
सोलह साल की आयु में था एक चमकता सूर्य।
अभीमन्यु को कर्णप्रिय था रण के बजते तुर्य्य।
Mohit mishra
Written by
Mohit mishra  Allahabad
(Allahabad)   
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   Ananye Krishna and Karishma
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