ज़रा भी कद्र हो हमारी,तो लौट के ना आना, दिन तो दिए कम,गम यूँ तुमने हज़ार दिए, तुम्हारे चेहरे की एक झलक पाने के लिए दिन गुज़ारा करते थे हम, अब दोपहर गुज़र जाती है,शाम बार-बार दिए, तुम्हारे लिए आँसू बहा के क्या फ़ायदा, तुम्हारे आँसू की हर बूँद जो बहती है,नये नाम हर बार लिए, इस तन्हाई से ही खुश हैं अब हम, झूटा तुम्हारा प्यार यूँ गुज़रा,दिल हमारा तार-तार किए.