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Sandeep kumar singh
Poems
Mar 2015
बेटी हूँ तो मिटा दिया |
बेटी हूँ तो मिटा दिया |
क्या थी मेरी गलती माँ,
जो तूने मुझे मिटा दिया,
अपनी ही हांथो से तूने,
आँचल अपना हटा दिया,
देेख न पायी मैं तेरी सूरत ,
कैसी थी माँ तेरी मूरत,
चली गई मैं यहाँ से रोवत,
कैसी थी माँ पापा की सूरत |
बेटी हूँ मैं इसी लिए क्या ,
हाथ अपना हटा लिया ?
क्या थी मेरी गलती माँ,
जो तूने मुझे मिटा दिया ?
यह दुनिया देखने से पहले,
क्यो तूने मुझे सुला दिया,
क्या थी मेरी गलती माँ,
जो इतना बड़ा सजा दिया?
" बेटी है तो क्या हुआ,ये है आँखों का नूर |
जीने का अद्दिकार छीन कर करो न इनको दूर |"
संदीप कुमार सिंह |
( हिंदी विभाग, तेज़पुर विश्वविधयालय )
मो.नॉ. +918471910640
#kumar
#singh
#sandeep
Written by
Sandeep kumar singh
Nagaon, Assam
(Nagaon, Assam)
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