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Jan 2015
जब व्यथा की कथा ना कही जा सके,
जब छलकते ये आँशु बहे जा रहे,
कोई तो बताये ये है राज क्या ?
या शायद वक्त नहीं साथ क्या ?

विचारो के ये पंख उड़े जा रहे,
अब सम्हालना आशां नहीं क्या ?
क्यूँ सीमाएं अब नजर नहीं आ रही ,
खुदा तो नहीं मानव्क्रित्य है क्या ?

कोई ना मइला जो दे साथ मेरा,
ज़माने को लगा इतना बुरा क्या ?
Gaurav Kashyap
Written by
Gaurav Kashyap  Varanasi
(Varanasi)   
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