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Deovrat Sharma Jun 2018
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कुछ़ बात़ें..
यादें बनती है...
यादों से किस़्से बनते हैं।

मुझसे..
तू है...
तुझ से..
मै हूँ ...

बाक़ी..
तो सब....बस...
बेमतल़ब की बातें हैं।।

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©deovrat 29-06-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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वो जो
मशरुफ़-ओ-मग़रुर था
ओर उफ़ ना कभी करता था।

उसकी
बेत़ाब निग़ाहों ने
जन्नत का ख़्वाब देखा हैं।।

क़ब्ल मे
वक़्त ने कुछ़
इस तरह करवट ली है।

जख़्म कुछ ऐसा
जिग़र पे खाया हैं।।
वो ना कभी भरता हैं।।

मुसल्सल
बुझते च़रागों
से है ख़्वाहिश-ए-रोशनी।

अज़ब सी
चाह है, ना वो जीता
ना ही सक़ूं से मरता है।।

ख़ुश्क
चेहरा ओ
लब-ए-तिश्नगी का आल़म ये।

हल्की सी
आह से भी अब
ज़िस्म सिहर उठता है।।

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©deovrat 12-07-2018
Deovrat Sharma Feb 2018
...
जब न था इश्क
दर्दे-ए-दिल न था!
जब से उनसे उलझी नज़रें
बेकली सी  हो गयी!!

**
       *इब्दिता-ए-इश्क में..
           उनके उठाए नाज़-ओ-खम!
             अब ना जाने अपनी फ़ितरत...
          बेवफा सी हो गयी!!


**
चन्द लम्हे साथ था वो
फिर हो गया नज़रों से दूर!
उनके दिल से अपने दिल की
गुफ्तगू तो हो गयी!!


*
    *वो नज़र से दूर है
         पर है तो दिल के आस पास!
        रूह को तसकीन है
                पर दिल को मुश्किल हो गयी!!

        
**
             *deovrat – 12.02.2018 (c)
Deovrat Sharma Jun 2018
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बेग़रज़ मुहब्बत के,
*मुख़तलिफ़ उसूल होते हैं। (अल़ग)

वो जो भी फै़सले करें
मुसलसल कब़ूल होते हैं।।
◆◆◆

इस कैफ़ियत की चाहत,
गोया कि *अल-वाहिय़त।(आलौकिक होना)

इसको ना इश़्क कहिये
यें ही सच्ची इब़ादतें हैं।।
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©deovrat 23-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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यूँ खो ना जाना तू कहीं,
ख़्वाहिश-ए-हज़ूम में।

जो मिला है, सो तेरे पास है,
ना वो खो देना ज़नून में।।

◆◆◆

भरोसा-ए-ज़िन्दग़ानी कुछ नही,
इस लिये बस होशला रख जो़श में।

ना अब  देर कर, उठ चल संभल जरा,  
सौंप दे खुदी को, उस प्रभु के हज़ूर में।।

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© deovrat 21-06-2018
Deovrat Sharma Sep 2018
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दिन भर दोपहरी की तपती
चिलचिलाती धूप और लू  के
थपेडों से त्रस्त थकी गोरैया
दिन के तीसरे पहर
सूरज की मध्यम सी
लालिमा से चमकते
तिनका-तिनका जोड कर
बडे जतन से बनाये गये
घोंसले में लौट आयी।

बेइन्ताह ख़ुशी से
चहचहाते फुदकते
चूज़ों से घिरी वह नन्ही चिड़िया
मातृत्व.से उद्दवेलित अपने बच्चों को
प्यार से सराबोर करते हुए
च़ुग कर लाया दाना दुनका
उनकी चोंच में डाल वो ममतामयी माँ
दिन भर की थकन विक्षोभ
परेशानी भूल गयी।।

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©deovrat 14.09.2018
Deovrat Sharma Feb 2018
.....
संग-ए-दिल..और भी हैं ...इस ज़माने में !

तेरा ही ज़िक्र क्यूँ रहता है हर अफ़साने में !!

इश्क़ के गम किसको  यूँ ही मिला करते है !

कुछ अलग बात है  जो.. सब से आशना तुम हो !!

.....

जो मुनसिफ़ है बना बैठा.. वो ही मुज़रिम है !

याँ कितने है मुखोटे.. नही तनहा तुम हो !!

उसके मकतल में हुआ होगा है सर कलम मेरा !

ना अफ़सोस कर ए दिल, फरेब के मारे तुम हो !!

.....

ना भरम रख क़ि... वो तुझे मिल ही जायेंगें !

वो हैं हर दिल की चाहत... कहाँ मिल पाएँगे

जीने के और भी बहाने है इस दुनिया में !

जीना मुम्किन है तो जी.. क्यूँ  ये भरम पाले हो !!

....

जिस्म की हवस... वो तो है आनी जानी !

रूह की ख़्वाहिंसे होती है सदा रूहानी !!

रूह से रूह का मिलना क्या कभी हो पाया ?

मेरे मासूम दिल ... क्यूँ  इतने नासमझ तुम हो !!




deovrat - 23.02.2018 (c)
Deovrat Sharma Feb 2018
.......
क्यूँ ख़यालों में भी..
आकर ना जीने देते !
                       हर श: के अक्श में..
                      अगर्चे शामिल तुम हो !!


तेरी परछाई को भी..
ना रास आई मेरी तन्हाई !
                         फिर भी मुझसे कहते हो..
                         "इतने तन्हा क्यूँ हो" ?



जबकि मामूल ये ज़माना..
है बड़ा ही  हरजाई !    
                    यूँ तो ज़ाहिर है  मेरी..
                    तन्हाई के बायिस तुम हो !!


दर्द-ए-दिल मेरा ये..
आपकी इनायत है !
                    फिर ये  पूछते हो कि..
                    रंज-ओ-ग़म सहते क्यूँ हो ?


                      *

                     *deovrat - 23.02.2018 (c)
Deovrat Sharma Jul 2018
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उसके चेहरे पे चमक आँखों मे आँसू होंगे।
उसके लब पोशीदा-ए-मसर्रत से रोश़न होंगे।।

भारी दिल और जिग़र में  अहसाश-ए-ख़लिश।
फज़ल-ए-रब को हाथ सर पे फिराए होंगे।।

वक़्त-ए-रुख़सत वो घर से चले लख़्ते ज़िगर
बोसा पेश़ानी पे और कलेज़े से लगाये होंगे।।

हिफ़ाजत-ए-माद़रे वतन सख़्त कलेज़ा करके।
माँ ने श़ान-ओ-फ़र्ख से बेटे सरहद पे भेजे होंगे।।

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©deovrat 20-07-2018
Deovrat Sharma Feb 2018
...
तुमसे मिलने की ललक..
मेरी इन साँसों को !
एक उम्मीद-औ-आशा
की झलक दे जाती है !!


तेरी बस एक झलक..
उम्मीदों के तप्त मरुस्थल में !
उमंगों की बहार..
अनेकों पुष्प खिला जाती है !!

यूँ तो तुम बसते हो..
मेरे कण कण में !
तेरे दीदार की ख्वाहिश..
नयी प्यास जगा जाती है !!


राज़-ए-दिल तुझसे..
भला कौन छुपा पाया है !
दिल की हर धड़कन..
तेरा अहसास करा जाती है !!

बेख्यालि में भी..
ख्यालों में सूरत तेरी है !
सांसो की तरन्नुम..
"सो-हम" लय में गुनगुनाती है !!

.....
*deovrat – 21.02.2018 ( c)
Deovrat Sharma Sep 2018
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हमारे नक्स-ए-पा
गर मिल ही जायें
तुम चले आना।

खौफ़-ए-पुर
दस्त-ओ-सहरा से
कहीं तुम हो नही जाना।।

ना जाने कब से
मुन्तज़िर है दिल
दीदार-ओ-वस्ल का।

रंज़-ओ-ग़म
अपने अता कर के  
मुहब्बत साथ ले जाना।।


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©deovrat 07.09.2018

नक्स-ए-पा=footprint
खौफ़-ए-पुर=fearful
दस्त-ओ-सहरा=for­est & desert
मुन्तज़िर=awaiting
Deovrat Sharma Sep 2018
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मुसलसल
ख़्वाहिश-ओ-उम्मीदों
पे बसर करता हूँ।
मगर ये ना समझना
कि ख़ुदी पे मरता हूँ।।

मुसाफ़िर हूँ
मंजिल मिल के रहेगी,
है ये यकीं मुझको।
इसी जज्बात से मैं
आगाज़-ए-सफर करता हूँ।।

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©deovrat 02.09.2018
Deovrat Sharma Aug 2018
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मेरे लब-ए-तबस्सुम की
हकीक़त अगर जान लोगे तुम।

यकीनन कैफ़ियत-ओ-जुनू की
ताकीदियत मान लोगे तुम।।

दिल से ना ही हयात-ए-दहर
से तुम कभी रुख़सती देना।

हाल-ओ-मुस्तक़बिल हूँ
तुम्हारा  ये पहचान लोगे तुम।।

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©deovrat 21.08.2018

ताकीदियत=intensiveness
Deovrat Sharma Apr 2018
...
परवाने की  आदत है..
शम्मा पे  यूँ  जल जाना  !

अंज़ाम-ए-मुहब्बत को..
परवाना ना जाने है !!
~~~

हम से उनका मिलना..
यूँ  मिल के बिछड़ जाना !

कुछ क़ब्ल की बातें हैं..
कुछ  गुज़रे ज़माने हैं !!
~~~

किस्मत की लकीरों पे..
कुछ ज़ोर नही गोया !

शिद्दत से, जुस्तुजू के..
कुछ राज़ छुपाने हैं !!
~~~

हम उनके मुंतज़िर हैं..
जो मिल के बिछड़ते है!

कुछ पल का वो मरहम है..
और सब ज़ख्म पुराने हैं !!

...

(c) deovrat-24.04.2018
Deovrat Sharma Oct 2018
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मोगरे की कली
मुश्क़अफसां
अधखिली।
गुन्चा-ओ-गुल
की कशिश
उन अदाओं में है।।
है वो मासूम सी
और बेहिस है वो।
शोख़ अंदाज़ है
कुछ नज़ाकत भी है।।

अब बशर
कोई ऐसा
कहाँ है यहाँ।
जो सुनता
समझता हो
खामोशियाँ।।
मान लो
कुछ तो है जो
बोहत ख़ास है।
दिल जो घायल
हुआ उसकी
चाहत में है।।

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©deovrat 09.10.2018

मुश्कअफ्शां=spreading fragrance
बेहिस=insensitive
Deovrat Sharma May 2018
~~~
गहराती हुई रात,
हर लमहा उनकी याद।
~~~
बादलों मे जैसे..
छुपता - छुपाता चाँद।।

~~~

©deovrat
Deovrat Sharma Jul 2018
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कुछ इस कद़र जहन में  
वो पेवस्त है  मिरे।

एक पल को नही टूटते
यादों के सिलसिले।।

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©deovrat 18-07-2018
Deovrat Sharma Apr 2018
...
यादों का सिलसिला है,
या कारवाँ गमों का !

वो याद बहुत आये,
फुरकत में उदासी में !!
       ~~~

सब रस्मे मुहब्बत  क्‍या,
इस तरहा निभाते है !

हम कब से लुटा बैठे,
सब कुछ तेरी राहों में !!

         ~~~
(c) deovrat-05.04.2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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वक्त की परवाह हमें
ना ख़ोफ-ए-ब़सर है।

वो द़श्त-ए-बियाबान हो
या कोई रहगुज़र है।।

आँख़ों मे अक़्स-ए-यार
ओ दिल में उसकी याद़।

रहब़र वो साथ रहता है
किस बात का डर है।।

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©deovrat 05-07-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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ज़िस्म की..
आग़ भडक़ती है...
वो बुझ़ भी जाती है।

इश़्क की लौ..
द़िलों में जलती है...
सदा-सदा के लिये।।

◆◆◆

हद़ें तलाश..
ना कर, उसकी...
हयात-ए-फ़ानी में।

अज़ल हैं..
रूह के रिश्ते हैं...
दो ज़हाँ के लिये।।

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©deovrat 28-06-2018
Deovrat Sharma Mar 2018
..
अश्क की बूंद
की
मानींद है,
जिंदगी मेरी।

चश्म-ए-पुरनम
से  जो गिरा,
तो
फना हो जाऊंगा।।
*


©deovrat 24.03.2018
Deovrat Sharma May 2018
•••

वो तो
अब्र का है
कतरा..

मेरा
वज़ूद जैसे
सहरा !
~~~

मझे
मिलने की
ज़ुस्तज़ू में..

कहीं
वो फ़ना हो
ना जाए !!

•••
©deovrat
Deovrat Sharma Mar 2018
....
ये कौन शख्स इतने ..
करीब से गुज़र गया !
कि सर्द हवाओं मे..
मेरा ज़िस्म जल गया !!
....

कस कस के वार कर गया..
वो नज़र की कमान से !
हर तीर निशाने पर लगा..
क़ि बुरा हाल कर गया !!
....

मुझको ना ये मलाल..
कभी था ना  रहेगा !
वो शख्स नज़र बचा के..
क़रीब से गुजर गया !!

....
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deovrat - 15.03.2018 (c)
Deovrat Sharma Jun 2018
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दिल ने यूं ही बेशाख़्ता,
कर ली है शनाशाई।

पशेमां हो के भी उनसे,
ना हो पाया वो हरज़ाई।।

◆◆◆

परश्तिस करने का ज़ज्बा,
कहें या शोक-ए-इबाद़त।

सदा को हो गया उसका,
वो उसकी हो नही पाई।।

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©deovrat
Deovrat Sharma Jun 2018
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तनहाईयों का भी,  
कितना अज़ीब आल़म है।

फिज़ा ख़ामोश है,
सक़ून-ए-दिल भी कम है।।

जह़न प अक़्स नक़्स है,  
दीदार-ए-यार का।

उसको भूलने के लिये
इक उमर भी कम है।।

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©deovrat 03-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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गुज़शता वक्त के सफहों पे कुछ अफ़साने है।
मुसलसल ख़्वाब-ओ-हक़ीकत के कई तराने है।।

हमसफ़र कब़्ल में यूँ तो मिले-ओ-मिलते ही रहेंगे।
आपके मिलने से खुशनुमा रंग हैं नये ज़माने हैं।।

महकते गुल-ओ-गुलशन और ये सतरंगी फ़िजा।
इस महफ़िल में सभी तो अपने है ना कोई बेगाने हैं।।

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©deovrat 21-07-2018
Deovrat Sharma Aug 2018
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ना सवाल कर ना जवाब दे
अब उमर का तो ख़याल कर।

ना समझ सका जो चश्म-ए-ज़बां
उस शख़्स का ना मलाल कर।।

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©deovrat 03.08.2018
Deovrat Sharma Mar 2018
~~~
अफ़सोस तो होता है..
    अगर गुफ़्तगू ना हो ।

        इतना तो मगर सुकून है..
          वो मुझसे ख़फा नही ।।
                     ~~~
             तन्हाइयों का रंज़ ना..
               मुझको कभी रहा ।

                   सदा  वो साथ हैं मेरे..
                     न था मुझसे जुदा  कभी ।।

                                  ~~~
               *©deovrat - 26. 03. 2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

धरती से
अम्ब़र तक
तेरी ही माया है
तुझमे रमा है मन मेरा।

रिस्तों
की माया है
झूठ़ी यह काया है  
बस एक तू ही है सच्च़ा सहारा।

जीवन
की नैय्या का
तू ही खिवय्या है
मेरा तो तू ही पालन हारा।

आया हूँ दर तेरे
इतनी अरज़ सुनले
अपनी शरण कर ले
निर्मल मन से है तुझको पुकारा।

आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

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©deovrat 06-07-2018
Deovrat Sharma Apr 2018
...
सिनिग्ध चाँदनी बरस थी
धरती और गगन में  !
चाँदी जैसा अंबर दिखता
नादिया की कल कल में !!

~~~

मन की वीणा पर था जैसे
सप्त सुरों का वादन !
कंठ स्वरों नें बरबस छेड़ा
मधुर मिलन का गायन !!

~~~

मन्थर मंद मलय के झोंके
ख़ुशबू जैसे चन्दन !
सारा उपवन महक उठा
तब जैसे नन्दन कानन !!

~~~

वो मनमीत, अतीत से
आकर बैठा सन्मुख मेरे !
स्वपन सलोना रहे सनातन
जब तक है यह जीवन !!

...

(c) deovrat-12.04.2018
Deovrat Sharma Apr 2018
...
जब हम-ओ- तुम मिले थे..
तुम्हें याद है वो लम्हे।
जैसे बहार-ए-गुल हो...
हयात-ए-जिन्दगी हो।।
~~~
वो हसीन हादसा था..
या तो ख्वाब था वो कोई।
हकीकत है, मै हूँ तन्हा...
तुम भी कहीं नही हो।।

...
©  deovrat - 22.04.2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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ये तो हकीक़त है
कि कुछ कमी सी है।
ये श़ब उदास है
आँखों में भी नमी सी है।।

कहने को कितने ही
राज़ दिल में दफ़न है
ज़ुबां ख़ामोश हैं
लफ़जों की कमी सी है।।

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©deovrat 19-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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काफ़िला-ए-हमसफ़र वो
था मिरा और दूर तक रहा।
रक़ीब-ओ-हयात ने कभी
उसे मिलने नही दिया।।

वो ग़ैरों के साथ चल दिया
द़ुनिया की भीड़ में।
हमने तनहाईयों को खुद का
हमसफ़र बना लिया।।

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©deovrat 17-07-2018
Deovrat Sharma Sep 2018
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देखो ना इस अन्दाज से
यूँ इस तरह मुझे।

कई हादसों की भीड में
एक हादसा हूँ मैं।।

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©deovrat 24.09.2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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इक ल़महा गुज़र जाये
तो बड़ी बात है समझो।

हमने ने तो कई साल
गुज़ारे हैं हिज़र में।।

◆◆◆

वो  ख़्वाब में ना आते तो
श़ुकून-ए-शब नश़ीब था।

वो क़ब्ल से हर वक्त
ही रहते है नज़र में ।।

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© deovrat 06.06.2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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जख़्म खाके..
मुस्कराने का चलन...
अब आम़ हो चला है।

ग़ोया कि..
होस़ला-ए-जब़्त-ए-सित़म...
हद पार हो चला है।।

◆◆◆

जिस ग़म..
की  पनाहों में तब...
उसका सक़ून-ए-दिल था।

वो उस..
ग़म-ए महफ़िल से...
दिल-ए-बेज़ार हो चला है।।

●●●
©deovrat 22-06-2018

— The End —