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 Nov 2024 Vanita vats
S R Mats
Wrapped in a gossamer bag
Translucent and light
Shimmering with many threads

Finely woven together.
Your gold to my silver
Will forever hold our love.
बूढ़े के भीतर
रहना चाहिए
सदैव एक बच्चा ।
जो झूठ को झाड़ कर
करता रहे
जीवन धारा को सच्चा ,
ताकि अंत
शांतिपूर्वक हो सके
और बन सके बूढ़ा
अनंत के आनंद  की
अनुभूति का हिस्सा।
इसलिए आदमी के भीतर
रहना चाहिए
भीतर सदैव एक बच्चा।
नाद
पर कर नृत्य
अनुभूति के पार उतरकर,
बनकर अद्वितीय !
कर मुझे चमत्कृत !
ओ ,योगीनाथ शिव !

तुम्हारे आगमन की गंध,
कण-कण में है जा समाई।

आज नाट्य, नाद, नाच ,गान के स्वर, आदिनाथेश्वर!
कर रहे पग पग पर मानव को प्रखर!!

तुम प्रखरता के शिखर पर
बैठी संवेदना हो,
साक्षात सत्य हो,
परम कल्याणकारी हो।

स्वयं में सुंदरता का सार हो।
तुम्हें मेरा नमन।
हे सत्यं शिवम्  सुंदरम के प्रणेता।!
तुम्हीं सृष्टि की दृष्टि हो ।
तुम्हारे भीतर समाया है काल।
तभी तुम महाकाल कहलाते हो।
यही काल बनता जीवन का आकर्षण है ,
जो जीव , जीव को अपनी ओर खींचता है।
मृत्यु का संस्पर्श कराकर
भोलेनाथ ब्रह्मांड की चेतना से
जीवन के कल्पवृक्ष को सींचते हैं !!

हे  भूतनाथ !
नाद तुम्हारा
जीवन का संवाद बने,
साथ ही यह समस्त वाद विवाद हरे ।
सृष्टि के कण कण से
जीव के भीतर व्यापी चेतना का
आप में समाई महाचेतना से संबंध जुड़े।

ओ' आदियोगी भगवान!
तुम्हारे दिशा निर्देशों पर
सब आगे बढ़ें,
जीवन के भीतर से अमृत का संधान करें।
तुमसे प्रेरित होकर
विषपान करने में सक्षम बनें।
जीवन में ज़हर सरीखे कष्टों को सहन कर सकें।
तुम्हारे भक्त अमर जीवन की  चाहत से सदैव दूर रहें।
वह मृत्यु को अटल मानकर
अपने भीतर बाहर की तमाम हलचलों को भूलकर
अपने  और आप को खोजने का प्रयास करें।
आपको खोजने की खातिर सदैव लालायित रहें।


हे आदिनाथ!
आपको क्या कहूं?
आप अंतर्यामी हैं।
सर्वस्व के स्वामी हैं।
हम सब जीवन धारा के साथ बहते रहें।
आपकी कृपा में ही मोक्ष को देखें ।
सभी आपकी चेतना को
जानने और समझने की चेष्टा करते रहें।

२४/०२/२०१७.
 Nov 2024 Vanita vats
Charly
The vault with no dial
a door with no key
swelling up, whispering
"please release me"
अचानक एक दिन
जब मैं था अधिक परेशान
समय ने कहा था मुझे कुछ
तू बना ना रहे
और अधिक समय तक तुच्छ
इसीलिए तुम्हें बताना चाहता कुछ
जीवन से निस्सृत हुए सच ।
उस समय
समय ने कहा था मुझे,
" यूं ही ना खड़ा रह देर तक ,एक जगह ।
तुम चलोगे मेरे साथ तो यकीनन बनोगे अकलमंद ।
यूं ही एक जगह रुके रहे तो बनोगे तुम अकल बंद ।
फिर तुम कैसे आगे बढ़ोगे?
सपनों को कैसे पूरा करोगे ?

मेरे साथ-साथ चल , अपने को भीतर तक बदल।
मेरे साथ चलते हुए ,मतवातर आगे बढ़ते हुए,
बेशक तुम जाओ थक , चलते जाओगे लगातार,
तो कैसे नहीं , परिवर्तन की धारा से जा जुड़ोगे ?अफसोसजनक अहसासों से फिर न कभी डरोगे ।"

समय ने अचानक संवाद रचाकर
खोल दिया था अपना रहस्य ,मेरे सम्मुख।
आदमी के ख़्यालात को ,
अपने भीतर का हिस्सा बनाते हुए
अचानक मेरी आंखें दीं थीं खोल।
अनायास अस्तित्व को बना दिया अनमोल।
और दिया था
अपने भीतर व्याप्त समन्दर में से मोती निकाल तोल ।
यह सब हुआ था कि
अकस्मात
मुझे सच और झूठ की
अहमियत का हुआ अहसास,
खुद को मैंने हल्का महसूस किया।
अब मैं खुश था कि
चलो ,समय से बतियाने का मौका तो मिला।

०५/०२/२०१२.
When pressure compels a person to resign.
When such happens in surroundings.
It is not a healthy signal for the human society .
It clearly indicates
that the nexus between syndicate  and state
has an upper hand in public life.
The corruption is flourishing day by day.
If all such activities increase,
that means human existence is at stake.
 Nov 2024 Vanita vats
fish-sama
Tired
Absolutely wasted
A worn-out
Out-dated
Machine.
Diagnostics aren’t running properly
Mannerisms aren’t properly proper
Inappropriate systems propagate pop-ups
In my cpu plunging to rock bottom
….
Reboot
Restart
….
Tired
Indefinitely trashed
Rewind rewind
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