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 Jun 2020 LLZ
Mohan Sardarshahari
लाल है प्यार का रंग
लाल जुड़ा है खतरे संग
लाल बनाए आकर्षक
लाल ही इश्क के ढंग
यों तुम लाल लिबास पहनकर
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।

इन बालों को भी यों बांधा ना करो
अगर बांधो तो फिर खोला ना करो
और खोलो तो फिर देखने से रोका ना करो
जब इन्हे बांधते हो तो
तुम्हारा भाल चंद्र सा लगता है
खोलते हो तो हमारे दिल में
ज्वार सा उठने लगता है
चंद्रमा के चरित्र को
यों उजागर किया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

कैदखाना हैं बिन सलाखों का
ये तुम्हारी दो आंखें
उठती आंखें दुआ बनती
झुकती बनती अदा ये आंखें
यों इनमें काजल लगा कर
और गहरा बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

तेरे ये सुर्ख होंठ
कभी गुलाब लगते हैं
कभी लगते हैं शोले
इनकी शरारती मुस्कानों पर
हमारा ईमान डोले
यों इन्हें सुर्ख बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो

तेरे गालों पर पड़ते ये गड्ढे
इन पर जो फिसले फिर ना उबरे
जमाना बहुत खराब है
कोई इन्हें "क्वारंटाइन" केंद्र ना कह दे
इन गड्ढों पर लगाम लगाया करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।
 Jun 2020 LLZ
Mohan Sardarshahari
Life is meant for
Finding solutions of
Remoteness
Helplessness
And
Loneliness
 May 2020 LLZ
Riddhi Thakkar
I often ask mie friends, “ Are you okay?”
Because for me “are you okay” can mean a lot of things like:
Are you okay? I’m here to listen you.
Are you okay, because I care for you.
Are you okay,
Because I Love you.
Are you okay??
The hidden Love
 May 2020 LLZ
Dharmendra Kumar
Pyaar ha pyaar itna pyaar
Jo mujhe, mujhako batati hai
Kya sahi, Kya galat
Ye samjhati hai
Kuch bhi yaha vaha Kiya na
Kaan pakad Kar bahut datati hai
Ye karna hai
Tum Kar loge
Aapni bhi takat, mujhme lagati hai
Gurur hai mujhe
Mera hausla hai
Itna ki kabhi jivan sathi , kabhi maa , kabhi dost to kabhi guru ban jati hai
Pyaar ha pyaar itna pyaar
Sath hu har Safar,  Har muskil halat me
Mai kabhi bola hi nahi
O khud samajh jati hai
Love you my life
 May 2020 LLZ
Dharmendra Kumar
Ankho me thi kaisi nami
Jaise kahi barsaat si hai
Ek roj Jo un se baat huyee
Pahali dafa mulakaat huee
 May 2020 LLZ
Mohan Sardarshahari
अभी हवाओं ने बदला है रुख
बाहर है खामोशी ,दिल में कोहराम
लाखों पैदल सड़कों पर चल
ढूंढ रहे हैं अपना मुकाम
गूंगी सी सुबह, गूंगी सी शाम
ना कहीं झालर ,ना अजान
एक तरफ अपनों की यादें तो
दूसरी ओर बाहर जाने के बुरे अंजाम
बन गये कातिल मानव के
उसकी ही तरक्की के काम।
 May 2020 LLZ
Mohan Sardarshahari
A cartoonist
Never dies.
Stays in numerous hearts
through never ending pranks
on corruption and lies
Provokes thoughts and debates
by creating words of ink- stained ties
Dedicated to Sudhir Tailang, Bikaneri  and all cartoonists on the world cartoons day today.
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