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Kuldeep mishra
Poems
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310
· Sep 2019
किताब, कलम
Kuldeep mishra
Sep 2019
किताब, कलम
जितनी किताबों से दूरी हो चली थी,
क़लम ने उतना ही पीछा कर लिया ...!!
#वैरागी
#kitabon
#kalam
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189
· Sep 2019
चुभन
Kuldeep mishra
Sep 2019
चुभन
चुभन थी जब दिल में कोई सहारा न मिल सका,
बेवक्त, बेसबब, बेजान तैरता रहा, किनारा न मिल सका ...!!
#वैरागी
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170
· Sep 2019
शायर
Kuldeep mishra
Sep 2019
शायर
दबे ज़ख़्मों को कुरेद के क़लम लिखने को उठायी ही थी,
कि लोगों ने ‘वाह’ कर शायर बना दिया...!!
#वैरागी
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137
· Sep 2019
आदते
Kuldeep mishra
Sep 2019
आदते
सब मिलता रहा तो कोसते रहे माँ बाप को ,
ज़रा जिम्मेदारियाँ क्या बढ़ी, सम्भाल नही पा रहे अपने आप को ...!!
#वैरागी
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136
· Sep 2019
ज़िन्दगी
Kuldeep mishra
Sep 2019
ज़िन्दगी
हर रात जगता हुँ, हर रात लिखता हूँ,
कोई रहनुमा बन पूछे तो सही, मैं क्यूँ नहीं थकता हुँ ...!!
#वैरागी
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132
· Sep 2019
रिश्ते
Kuldeep mishra
Sep 2019
रिश्ते
रची है साज़िश चंद अपनो ने ही क़त्ल की मेरे,
कोई बताए उनको, उनके नफ़रतों ने मुझे शातिर बना दिया ...!!
#वैरागी
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114
· Sep 2019
मोहब्बत
Kuldeep mishra
Sep 2019
मोहब्बत
हर बंदिशे तोड़कर जिसने तितलियों की तरह बग़ल बैठने का क़रार कर लिया,
मिले अरसे बाद मसरूफ़ ज़िंदगी में तो पहचानने से इंकार कर दिया ...!!
#वैरागी
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— The End —