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Kuldeep mishra Sep 2019
चुभन थी जब दिल में कोई सहारा न मिल सका,

बेवक्त, बेसबब, बेजान तैरता रहा, किनारा न मिल सका ...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
जितनी किताबों से दूरी हो चली थी,

क़लम ने उतना ही पीछा कर लिया ...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
हर रात जगता हुँ, हर रात लिखता हूँ,

कोई रहनुमा बन पूछे तो सही, मैं क्यूँ नहीं थकता हुँ ...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
दबे ज़ख़्मों को कुरेद के क़लम लिखने को उठायी ही थी,

कि लोगों ने ‘वाह’ कर शायर बना दिया...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
रची है साज़िश चंद अपनो ने ही क़त्ल की मेरे,

कोई बताए उनको, उनके नफ़रतों ने मुझे शातिर बना दिया ...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
हर बंदिशे तोड़कर जिसने तितलियों की तरह बग़ल बैठने का क़रार कर लिया,

मिले अरसे बाद मसरूफ़ ज़िंदगी में तो पहचानने से इंकार कर दिया ...!!

#वैरागी
Kuldeep mishra Sep 2019
सब मिलता रहा तो कोसते रहे माँ बाप को ,

ज़रा जिम्मेदारियाँ क्या बढ़ी, सम्भाल नही पा रहे अपने आप को ...!!

#वैरागी

— The End —