"मय हो या मैं"
अरे ओ "मैं", तू कितना प्यारा है मुझे, तुझे मैं क्या कहूं, मैं तेरे बिना रह न सकूं, क्या करूं!
मुझे दिखता है मैं ही मैं ; जहा तू वहा मैं, मैं तेरे बिना कहीं जा n सकूं और तुझ बिन रह न सकूं।
शराब हो, या हो धूम्रपान, या चरस गांजा, सबसे नशीला पदार्थ है "मैं "; और वो है बड़ा कातिल भी ।
सदा याद रहे, इन पदार्थों के सेवन से, कभी भी नहीं भरेगा तेरा प्यासा जी;
"मैं" हो, या मय, दोनो है कातिल और खतरनाक, इनके पयाले "अनार" तू कभी न पीना;
ऐ इंसान, अगर कम्बक्त, तूं करते रहा यह मय के पयाले का सेवन, मुश्किल हो जाएगा तेरा जीना ।
Armin Dutia Motashaw