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सुनी थी उसकी मांग, बिना सिंदूर; और ललाट था बिना कुमकुम

बिना पायल के पैर कितने बेजान लगते थे, गायब हो गई थी रुमझुम

अब खाली था हंस जैसा नाजुक उसका गला भी, मंगल सूत्र बिना;

मुश्किल हो गया था उसे एक एक सांस लेना; सोच रही थी, यह कैसा जीना !

चूडियोसे खनकती थी जो भरी हुई कलाई, थी खाली और सुनी सुनी

कितनी जतनसे इन गोरे गोरे हाथों पर, उसकी सहेलिने मेहंदी की डिजाइन थी बुनी

पायल बिनाके पैर, हाथ फीके, कलाई सुनी, न मंगलसूत्र, न बिंदिया न सिंदूर

और उसकी खुशियों का तो हो गया था खून, नज़र नहीं आती थी वो दूर दूर

अब जीवन यह पहाड़ जैसा, बीतेगा कैसे; बिना  पिया के,जिंदगी कटेगी कैसे

बागो से बहार अचानक गायब हो गई कहाँ, और यह पतझड़ आई कहाँ से और कैसे

Armin Dutia Motashaw
Sava varas, (One year n 3 months) ,and yet acceptance hasn't come; am I going crazy ?
When will I start accepting this bitter fact,  is something wrong with my thinking ?

People  move out, start a normal life, their previously set routine, then why can't I ?

Help me out, teach me how to live without you, and that too a normal life.

People have taken it so casually , little does your absence or presence matter

But for me it's a standstill,  this vacuum,  this gap cannot be filled

Give me please, a lessons few, to reach normalcy, so that I too can live, as people expect of me
राधा - कृष्ण

ओ कन्हाई,

भले तुझे सारि दुनियां भगवानके रूपमें पूजे, तुझे तारणहार माने,

पर कान्हा, तू है राधा बिना आधा, यह भी सारी दुनिया जाने

राधाने जुदाई में तेरी, आंसू न बहाये, यह दुनियां कैसे माने ?

पर डरती थी वो, उसकी आँखोंमें बसा तू, उसके असवन के संग, कहीं बह न जाए,

इस लिए राधाने बेहद गम सह कर भी, अपनी आंखोसे आंसू न बहाये ।

उसके दिलका दर्द, उसके मन की पीड़, वो आजभी, मनमें ही बैठी है छुपाये ।

न जाने क्यों आखिर राधाको उसका प्यार, उसका कान्हा क्यों नहीं मिला ?

इन दो प्रेमिओकी जुदाई का हमेंशा रहेगा चर्चा, हर प्रेमिके दिलमें, रहेगा गिला।

मैं भी सदा सोचती हूँ, उन्हें उनका यह शुद्ध बेपनाह प्यार, आखिर क्यों नहीं मिला ?

क्या कोई बता सकता है ???

Armin Dutia Motashaw
अरे ओ कागा

बर्गदके पेड़ की तेहनीपे बैठ कर, शोर मचाये जा रहा है, एक कागा

जब अम्बवाक़े पेड़ पर, काली कोयल का, अभी अभी मीठा सुर है लागा

मेरी अटरियापे दाना-पानी रखके दोनों को कहा है मैंने, "यहाँ आ"

काग तू भले न गाये मीठे गीत, मेरे पिया का संदेश तो ले कर  तू आ

जिया तरसे, नैना बरसे, पिया जबसे है सिधारे; उनकी कोई तो खबर ला

भले तुझे कोई न बुलाये, मेरी अटरियापे, मोरे पिया का संदेश देने तू आ

Armin Dutia Motashaw
श्रद्धा और सबुरी सीखने, मै द्वार तेरे हु आइ

कश्ती मेरी है मझधार बिना तेरे, स्थिर नहीं, वो है डगमगाई

आश्रय देदे, शरण में तेरे मुझे अब ले ले, ओ मेरे साई

जानु नहीं, इस दो रंगी दुनियामें सच्च है क्या, और क्या है एक परछाई

कृपा बरसाना मुझपे, सदा साथ रहे तेरा, ओ मेरे साई

दिखता है स्वार्थ चहु ओर, विपदा जीवनमे है छाई,

अकेलापन है, जीवनमें है उदासी और कठिनाई

बस अब तू ही है सहारा, सब कुछ है तेरे हाथ, ओ साई ।

Armin Dutia Motashaw
आ गया है याद अनारकली वाला संवाद,  ".... सलीम तुझे मरने नहीं देगा, और हम अनारकली तुझे जीने नहीं देंगे..."
यही कर रही है, हम बुढो के (वरिष्ट कहते है) साथ अपनी सरकार ।
मंहगाई चरणसीमा को छू रही है, खाद्य पदार्थों, दवाइया, मेडिकल इन्शुरन्स, हॉस्पिटल सब कुछ महँगा, उसके ऊपर सारे टैक्स (gst); बढ़ती हुई आयु तो एक श्राप हो गई है।

आयुष्य की डोर हमारे हाथों में नहीं है; पर इज्ज़त की रोटी, इज्ज़त भरा जीवन, यह भी हमसे सरकारने छीन लिया है ।

करे तो कोई क्या करे????????
अगर इज्ज़त से जीना चाहते हैं, तो कैसे जिये????
है जवाब तो जरूर बताइयेगा ।

Armin Dutia Motashaw
ARE YOU TRULY IMPORTANT???

Please do give this, a serious thought; you are important to only a few, actually  very few.

How many people call to check about your wellbeing, from this we can take a cue;

Parents worried are about your wellness, your whereabouts,  actually about you

Besides them, if inquire other people about your wellbeing, simply lucky are you

So decide how lucky you really are; for call most, only when they need your services,  not you

Armin Dutia Motashaw
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