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Riya jain Aug 2020
A soul forever lost,
in the grandeur of moon and stars,
found by the side of an ocean,
listening to the rhythm of the waves,
making the night more magical,
at that moment,
trying to live the best she can.

A soul found lying in the lap of nature,
somewhere down the waterfall,
on the same day,
found dancing, jumping, enjoying,
making memories with friends.

A soul found sitting,
under the shade of a banana tree,
reading her favourite book,
wishing to bring that favourite fictional character out and dance with joy.

A soul found sitting at her balcony,
writing her best piece of poetry,
while watching the sunset,
having her best cup of tea,
thinking about the things she is grateful for.

A soul found inside a pretty room,
trying to make a painting of the person,
reading this poetry,
now laughing because she haven't even seen that person.

A soul found somewhat lost here,
finding the meaning of this poem,
It's just the souls mentioned above,
could be you, me or any of us,
maybe found lost someday somewhere,
doing all those things that we love.
Riya jain Jul 2020
Oh artist, start running away from this rush,
Go out in peace & create your own world.
Of magic, art, books & everything you love,
It would be your own place, your own loving world.
Fill it with all the merriment you can,
Make it a masterpiece & become your own fan.
Walk in the nights hand & hand,
With freedom, happiness & loved ones, only if you can.
Gaze at the stars & sing your dream song,
Take a diary in hand & write a poetry along.
Make your home magical & your favourite place to be,
You will be happy in life, later you will see.
You are an artist, create the bestest art,
With your dreamy imaginations & all of your heart.
Out of all the things, do whatever makes you laugh,
This is your life, you be your better half.
-Ria
Riya jain May 2020
अपनों के फरेब ने जहन मैं सवालों का घर बना दिया.
जवाबों की चाहत मैं खुद को हमने मुसाफिर बना दिया.
चलते चलते कुछ यूँ ही हमने खुद को पा लिया.
सवालों की फिक्र छोड़ खुशियों का घर बना लिया.
जिंदगी ने दोस्त बनकर खुलके जीना सिखा दिया.
मुसाफिर हूँ यारो मैंने , धरती को अपना बना लिया.

वक़्त बेवक़्त अब घुमता हूँ , बिना कोई  चिंता लिये.
झोली भर ली अपनी मैंने, हजार नयी खुशियाँ लिये.
चाँद तारों को निहारते , मुस्कुराना सीख लिया.
बिना कोई मंजिल चुने अब , मैंने चलना सीख लिया.
नयी भोर, नयी राहें , नया सब कुछ पा लिया.
मुसाफिर यूँ यारो मैंने , धरती को अपना बना लिया.

: रिया
Riya jain Dec 2018
भूतकाल को भूल जाओ तुम,
उसका मत गुणगान करो।
वर्तमान में जी कर के,
तुम फिर से अनुसंधान करो।
छोड़ गया जो तुम्हें अकेला,
उसका ना अब ध्यान करो।
बुरे वक़्त को भूल जाओ तुम,
अच्छे को बस याद करो।
चलो अकेले पथ पर राही,
वक़्त को ना बर्बाद करो।
चला गया जो आए ना फिर ये,
इस पर ना अभिमान करो।
अतीत खेल है बदल जाएगा,
वर्तमान में जीया करो।
वक़्त बदलते देर ना लगती,
गुरूर ना इतना किया करो।
तेरा आज भी छूट जाएगा,
कल मैं ना इसे व्यर्थ करो।
जीवन की इस धूप छांव से,
अपने को तैयार करो।
नए लक्ष्य और संकल्पों से,
हर दिन की शुरुआत करो।
नई सोच और नई ऊर्जा से,
कठिन कार्य आसान करो।
धर्म और अध्यात्म की चेतना से,
भावी जीवन को मुक्त करो।
आने वाले पल हैं प्यारे,
यही सोच तुम काम करो।
सब कुछ अच्छा होगा आगे,
बस कल को ना तुम याद करो।
अरे भूल जाओ तुम भूतकाल को,
उसका मत गुणगान करो।
वर्तमान में जी कर के,
तुम फिर से अनुसंधान करो।
Riya jain Dec 2018
Waking up everyday with a lot of dreams,
dreams like full of adventures and screams.
life is such a pure, cute cycle of adventures,
after knowing this, feels like life is itself a dream.
A dream which incarnate your other dreams,
within this excursion of life which you treat as deem.
Life will bless you with some liberal humans,
also, some foment perfidious who will distract you.
Take a lesson from the perfidious ones,
and make a pristine kind way to your dreams.
or else your life will be treated as a changing theme.
Now, when you'll wake up from this dream,
you'll see all your dreams became fulfill and gleam.
: Riyajain
Riya jain Nov 2018
लाख गलतियां करके फिर,
है खुद को समझाया मैंने।
सबका भला सोच-सोच फिर,
खुद को ही ठुकराया मैंने।
तेरा अपना तू ही है फिर,
खुद को ये बतलाया मैंने।
लाख गलतियां करने से फिर,
है खुद को बचाया मैंने।
आयी समझ जब मुझे समय पे,
कि छुपा रखा था खुद को मैंने
घुली मिली मैं सबसे फिर से,
खुद को आगे भड़ाया मैंने।
दोस्त छोड़ के पीछे फिर से,
परिवार का साथ निभाया मैंने।
उड़-उड़ के जब आयी थी खब्रें,
तोड़ लिया था खुद को मैंने।
ऐसी मैं हूं नहीं फिर अब,
ठानी थी समझाने की मैंने।
लोगों का काम है कहना कहकर,
खुद को था सुलझाया मैंने।
खड़ी हुई मैं गिरकर फिर से,
खुद को आगे चलाया मैंने।
लोग तो आते-जाते रहेंगे,
था खुद को समझाया मैंने।
खुशियां दिखी हर जगह फिर,
ज़िन्दगी का पाठ समझा था मैंने।
क्या खूब देन है खुदा की ये,
खुद को था बतलाया मैंने।
हाथ थाम फिर अपनों का,
ज़िन्दगी का साथ निभाया मैंने।
दोस्तों को साथ लेकर इसको,
और यादगार बनाया मैंने।
रोना धोना छोड़-छाढ़ कर,
खुद को फिर से हंसाया मैंने।
दुख भी आते ज़िन्दगी मैं,
इस बात को था अपनाया मैंने।
खुशी की जीत होती हमेशा,
खुद को खुशहाल बनाया मैंने।
खुदा की देन की इज्ज़त करते,
इसको खूबसूरत बनाया मैंने।
Riya jain Oct 2018
अरे मनुष्य कुछ कर दिखा,
किस्मत को मत बोझ बता।
दिया है रब ने बहुत तुझे,
उसका ना तू मोल लगा।

बदल सकता है दुनिया तू,
गलत को करके सही दिखा।
बन जाएगा तू महान,
ना तू इतना ज़ोर लगा।

मेहनत को ना रोक कभी,
रोज़ तू आगे कदम भड़ा।
भीड़ बहुत है दुनिया में,
तू अलग अपनी पहचान बना।

नहीं हो तेरे साथ कोई तो,
तू बस रब का ध्यान लगा।
रोक सके ना कोई तुझे,
तू रास्ता अपना अलग बना।

रास्ते में हैं काटें कई,
तू दे फूल से उसे सज़ा।
भूल सके ना कोई तुझे,
इतना तू अब नाम कमा।

दर्द गुब्बारे में करके कैद,
आकाश में दे तू उसे उड़ा।
खुशियों का कर फिर तू स्वागत,
खोई हसी तू वापस ला।

कभी ना ज़िन्दगी को तू अब,
खुदा की दी हुई बोझ बता।
ये ज़िन्दगी ही दोस्त है तेरी,
इसका तू बस साथ निभा।
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