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Riya jain Oct 2018
चार दिन की चांदनी में, बन गया खुद ही निशाना।
होगया बरबाद इतना, रहा नहीं खुद का ठिकाना।
कैसे बनाए अब वो आशिक, अपना नया आशियाना।
आता नहीं है उसको अपनी बात को दर्शाना।
दुनिया का है काम उसको रोज़ कहीं फसाना।
पर इनकी हरकतों से वो, बिलकुल है अंजाना।
चार लोगों का ज़िम्मा है उसे हर बात पे डराना।
वो रह जाता है पीछे, बिन सुनाए अपना अफसाना।
कब अच्छा हो पाएगा, ये ज़ालिम सा ज़माना।
यहां जालिमों का काम है, सबकी खुशियों को मिटाना।
अच्छे लोगों को ही आता, बस रिश्तों को निभाना।
बुरे को बस आता पीछे, उन रिश्तों से हट जाना।
रिश्ते होते हैं ऐसे, जैसे कोई ख़ज़ाना।
पर दुनिया को बस आता है, उन रिश्तों को हर्जाना।
अब उस आशिक को भी है, उस अफसाने को सुनना।
लेकिन दुनिया धुंड लेती, ना सुनने का नया बहाना।
जानता है कि उसे, अब किसी को नहीं अपनाना।
उसका काम रह गया बस, खुद को तसल्ली दिलाना।
नहीं बना पाया वो, नया अपना आशियाना।
क्यूंकि बदल सकता नहीं, ये ज़ालिम कभी ज़माना।

Riya
Riya jain Oct 2018
andheri thi jo raat wo,
us raat ki kya baat kahun.
jis raat se wo mila nahin,
us raat ki kya subah kahun.

har raat ki h subah mgr,
us raat ki bhi subah hui.
charcha hui to khabar mili,
us shaqs ki toh maut hui.

shaqs to tha wo dost mera,
us shaqs ki kya baat karun.
ladka tha wo bigda magar,
uske dil ki kya taarief karun.
  
maut nahi thi tha wo khoon,
un kaatilon ki kya baat karun.
jese tadpaya un sbko,
Isse bhattar maut unko m ada krun.

galti kya thi un maasumo ki,
jo aisi bhynkr maut mili.
khuda tu hi jawab dega,
kynki tune thi wo maut likhi.

sbko jisne khush tha rkha,
uski shanti k m dua krun.
Yaad rkhnge use hmesha,
uski yaadon ki kya baat karun.

@riya
Riya jain Oct 2018
घर आया नन्हा मेहमान,
लेकर अपनी अलग सी शान।
छोटे छोटे हाथों वाला,
प्यारी है उसकी मुस्कान।
सुन्दर सुन्दर चेहरे वाला,
है वो अब, हम सबकी जान।
गोलू, मोलू, ढोलू, भोलू,
आते ही पड़ गए उसके नाम।
प्यार मिलेगा उसे हमेशा,
है वो अब इस घर की अान।
Riya jain Oct 2018
चांदनी की ओढ़ चादर,रात पूनम मुस्कुराई
प्रिय तुम्हारी याद आयी,प्रिय तुम्हारी याद आयी।
ना देखा जो तुमको बरसों,तो आँख मेरी भर आयी
मन में हैं लाख सवाल,और सांस मेरी घबराई।
दिल कहे तू पास है,पर ना तू नजर आयी
सब कहें तू है भगवान को प्यारी,पर बात ये ना समझ आयी।
वक़्त बहुत गुजर चुका,पर तू ना वापस आयी
बन चुकी तू अब एक तारा,मुझे बात ना ये भायी।
ख़ाली बैठी जब भी तो बस तेरी कमी ही छाई
छा चुके हैं बादल मुझपे,जबसे मिली तुझसे जुदाई।
आज इद-का-चांद देख बस याद तेरी है आयी
बचा नहीं है कुछ अब की में करूं तेरी दुहाई।
एक दफा तू लौट आ और खत्म करदे मेरी तनहाई
फिर वादा में ना होने दूंगी,कभी तुझसे रिहाई।
दिखा देंगे ज़माने को हम तेरी अच्छाई
पर तू लौट आ बस तेरी बहुत याद है आयी।
Riya jain Oct 2018
होता है आना जाना,
लोगों का यहां।
पराये और कुछ अपने,
लोग हैं यहां।
कहने को तो साथ हैं,
पर हैं सब बहुत दूर।
दुख में पता चलेगा,
की वो हैं कितने मगरूर।
साथ निभाने की कहते,
पर दे ना सकते साथ।
मुश्किल यदि कोई आजाए,
जाते बैठ रख हाथ पे हाथ।
कहने को तो हैं अपने,
पर हैं तो वही पराए।
सामने तो हें अच्छे,
पीछे दुश्मनी निभाएं।
मुंह पे बनते बहुत ही अच्छे,
अकल के हैं पर ये तो कच्चे।
औरों को झूठा बताते हैं,
और खुद की शान भड़ाते हैं।
कर लेते केसे ये सब,
हम तो समझ ना पाते हैं।
हम तो दोस्त बनाते हैं,
वो मौके पे घात लगाते हैं।
वो अपनी करनी का फल पाएंगे,
और पीछे फिर पछताएंगे।
Riya jain Sep 2018
baat wo jaani pehchaani thi,
school ki wo kahani thi.
subah uthke wo school ko jaana,
waha jate hi teacher ki daant khaana.
class mein chhup ke tiffin khaana,
or har galti par naya bahana.
class mein roz halla karana,
or galti khud ki pe dost ko fasana.
fir chup2 ke dost ko hasana,
usse kehna zara chehra toh dikhana.
pal haseen ye kahin gum se gaye,
ab hum sab alag hogye.
class wo humari ek kamra ban gyi,
or baatein humari yaadein ban gyi.
firse doston ka mela hum lagaynge,
par wo school ke din waaps na aynge.

Riya
Riya jain Sep 2018
आशाओं पर जीवित मैं एक प्राणी हूं,
मानव की दुर्बलताओं का हार नहीं।
भूल चुका हूं भूतकाल की बातों को,
है अतीत के सपनों से मुझे प्यार नहीं।
वर्तमान की घड़ियों में मैं उलझा सा,
सुलझाता फिरता हूं मैं उन कड़ियों को।
एक बार की स्मृति कर मैं रोता हूं,
पा जाऊंगा खोई हुई उन लड़ियों को।
रसपान नहीं कर पाया मैं उस मृदु रस का,
जिसका जीवन में मुझको आभास नहीं।
आशाओं पर जीवित मैं एक प्राणी हूं,
मानव की दुर्बलताओं का हार नहीं।
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