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Nov 2018
लाख गलतियां करके फिर,
है खुद को समझाया मैंने।
सबका भला सोच-सोच फिर,
खुद को ही ठुकराया मैंने।
तेरा अपना तू ही है फिर,
खुद को ये बतलाया मैंने।
लाख गलतियां करने से फिर,
है खुद को बचाया मैंने।
आयी समझ जब मुझे समय पे,
कि छुपा रखा था खुद को मैंने
घुली मिली मैं सबसे फिर से,
खुद को आगे भड़ाया मैंने।
दोस्त छोड़ के पीछे फिर से,
परिवार का साथ निभाया मैंने।
उड़-उड़ के जब आयी थी खब्रें,
तोड़ लिया था खुद को मैंने।
ऐसी मैं हूं नहीं फिर अब,
ठानी थी समझाने की मैंने।
लोगों का काम है कहना कहकर,
खुद को था सुलझाया मैंने।
खड़ी हुई मैं गिरकर फिर से,
खुद को आगे चलाया मैंने।
लोग तो आते-जाते रहेंगे,
था खुद को समझाया मैंने।
खुशियां दिखी हर जगह फिर,
ज़िन्दगी का पाठ समझा था मैंने।
क्या खूब देन है खुदा की ये,
खुद को था बतलाया मैंने।
हाथ थाम फिर अपनों का,
ज़िन्दगी का साथ निभाया मैंने।
दोस्तों को साथ लेकर इसको,
और यादगार बनाया मैंने।
रोना धोना छोड़-छाढ़ कर,
खुद को फिर से हंसाया मैंने।
दुख भी आते ज़िन्दगी मैं,
इस बात को था अपनाया मैंने।
खुशी की जीत होती हमेशा,
खुद को खुशहाल बनाया मैंने।
खुदा की देन की इज्ज़त करते,
इसको खूबसूरत बनाया मैंने।
Riya jain
Written by
Riya jain  17/F
(17/F)   
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