मेने सुना था कि कलम की ताकत जमीर हिला देती है
जो बहे विपरीत हवा , रास्ते से हटा देती है|
तो आज लिखती हूँ ,इसी विश्वास से हर शब्द
आत्मा चीख रही , इस माटी को दे कुछ वक्त |
कैसे उठ रही, परदेश के जिंदाबाद की आवाजें
गद्दारो को कैसे देश की संतान से नवाज़े |
क्यों सो रहा है, देश का हर खोलता रक्त यहाँ
रक्त रंजीत अक्षरों से इतिहास लिखा गया जहाँ ।
इस सोच से बढ़ चली की कोई साथ दे सकता है
बड़ी शान से जवाब मिले , हम कर भी क्या सकते हैं ।
हम तो आम जनता हैं,
ये आम जनता पूरा शहर जला सकती है
ये आम जनता लाशें बिछा सकती है ।
पर जो बात आये देश की
तो ये जनता कर ही क्या सकती है।
जिस देश का हर पन्ना , वीरों के गीत गाता है,
उस धरती पर कैसे कोई परदेश की जय कर जाता है।
Tv अखबारों में जो पढ़ते हैं,
चंन्द लम्हो में भूल जाते हैं।
ना खून खोलता है , ना दिल दहलता है,
ना जाने कैसे चैन की नींद सो पाते है
की पलटो पन्ने ,देखों इतिहास मत दोहराओ
यू ही मरने के लिए मत जियों ।।
कोई एक काम तो मातृभूमि के लिए कर जाओ
एक हो देश की सोचकर देशभक्त बन जाओ।
It is shameful for us that in India how easily a person living in India is able to say a word against India and even in front of an Indian public, easily and proudly Sloganeering "another country Zindabad" And still stands with life.