थोड़ी और ठेहर जा ये दिल
न जाने राह में रास्ते और जुड़ जाये
मंज़िल को मत कर खबर
खबर को ही मंजिल बना ले।।
गुमसुम सी राते।।
खिड़की से चाँद से वो बातें
शायद अब भी याद करता ये दिल वो चाहत की बरसातें।।।
और वो चोरी छीपे फूलों का ढूंढना ।।।
पर अब कैसे है ये खामोसी ।।।
आँखों में बस यादें।।
क्या फिर से यकीन भरी दुनिया में जाये ?
या फिर याद में ही याद बन जाये।।।