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कुछ तोह नहीं
फिर भी इतनी  भीड़ में
एक पागलपन
एक अनजान।।।आहट।।।
डरता दिल ।।।
छुपता खुद से।
कुछ तोह बात है
नहीं कुछ तोह नहीं।।।

।।।
मेरे ख्वाब ऐ मलिका
कन्हा जाऊ
मुझे न मालूम
घूम रही नीदं
सो रहा हु मैं पर क्यों ?
.

.
काँहा जाऊ
फिऱ फ़क़ीर ए तनहाई
चला गया ।।।
जँहा नहीं जाना चाहिए था।।
शायद दर्द ए ख़्वाब
रुकने से भी न रुका
फिर करता भी क्या
वक़्त को नज़रंदाज़ करता दिल हमेशा
फ़िर क्यों डरता इतना इतना।।।

पर अब
शायद ।।।मैं गलत हूँ।।।
तो क्या मैं गलत हूँ ?
दवा ए दारू
मर्ज़ी ए दर्द
खुद को भुला कर
खुद को पहचाना
आखिर कब तक???
आँखों ए नशा
तेरी याद में
हाँ तेरी याद में
पागल एक मुसाफ़िर
आवारगी से दोस्ती करता
और सूरज और चाँद
में खोया।।।
बगीचे के नमी को देखता
एक ख्वाब को भुलाने की कोशिश करता
पर कैसे?
।।।
तू दर्द में है
मैं तेरे कोई काम आउ
मुझसे बिना डरे कह देना
मुझे अच्छा लगेगा
।।।
मुझे
तेरी
याद

रही है
।।।
तेरी
याद
और
वो
दिन हो चाहे रात
तेरी पलकों में
एक साथ


।।।
तुझे देख रहा था
बरसात की आदत से
निहारता तेरी आँखों को प्यार से
मत पूछ कितना पागल हु मैं
अब तो तुझ पर फ़िदा हु मैं
तेरी मोहब्बत मेरी इबादत
और तुझे याद करता पल पल
बारिश की हर बूँद में
।।।।
और
मेघ बरसने लगे
और
दिल में तूफ़ान
हर बूँद को यादों की नज़र से
देखता पागल दिल
।।।
थोड़ी और ठेहर जा ये दिल
न जाने राह में रास्ते और जुड़ जाये
मंज़िल को मत कर खबर
खबर को ही मंजिल बना ले।।

गुमसुम सी राते।।
खिड़की से चाँद से वो बातें
शायद अब भी याद करता ये दिल वो चाहत की बरसातें।।।
और वो चोरी छीपे फूलों का ढूंढना ।।।

पर अब कैसे है ये खामोसी ।।।
आँखों में बस यादें।।
क्या फिर से यकीन भरी दुनिया में जाये ?
या फिर याद में ही याद बन जाये।।।
बार बार लिखता हूं
तेरे बेगैर अधूरा में
अंजान हु सबसे।
पर तेरे लिए जान हु मैं
...
बार बार लिखता हूं
तेरे बेगैर अधूरा में
अंजान हु सबसे।
पर तेरे लिए जान हु मैं
...
तुम्हे भी यकीन
हमें भी यकीन
यह फासले
ज़रा ज़रा से
दूरियां बनाने लगे
मान भी जाओ
ज़रा ज़रा
संभाल लो
हमें भी
।।।
जिंदगी का ज्वाला
और दर्द का प्याला
विष भी लगे और भी प्याला
ज़ाम में वफ़ा
बता तेरी मर्ज़ी है क्या
।।
क्यों न ऐसे ही मिलते रहे
और वक़्त बीत जाये
फिर न होगी हमें कोई शिकायत
क्या यूँही मिलते रहे ?
दोबारा दोबारा
।।।
लेकर चला रे मन बावला
फिरता एक तंहाई के आलम में
मस्त डूबा एक ख़्वाब में
धुप में बग़ीचे के छाव में
।।।
आ जाओ
रोको मुझे
शराब से
दिल से सोचो
ज़रा दिल में जगह तो दो
मान भी जाओ
तुम बिन
मुझे लोग ढूँढ़ते मेहखाने में
तुम आ जाओ

आ भी जाओ
आ भी जाओ
।।।
मंज़िल ऐ दिल
तो  क्या क़सूर मेरा
दर से संभला और दर से ही हार गया
।।।।
हाँ फिर से
तुमने अपनी बात में मुझे मना लिया।।
मैं एक डूबता मुसाफ़िर किनारे आ गया
नजाने क्यों ???



हाँ तूमसे मिलने।।
शायद
क्या फिर डूब जाऊंगा ये सोच रहा हुँ?

यह सुनते ही
तुमने जुल्फों में मुझें
कैदी बना दिया
और
और
चल दिए समुन्दर से कोसो दूर दूर बहोत दूर
एक अनजान डोर में जैसे की बंध गए हो जैसे।।।
।।।
तेरी हँसी
मेरी मुस्कान
तेरे लिए
सब कुछ क़ुर्बान

दिल ऐ दर्द भरा
नाराज़ हु खुद से
एक पंख ए ज़ाम
तू आ जा
मैं भूल जाऊंगा
दर्द ए ईश्क़ की शराब
।।।
यूँही बैठे थे
चलने को दिल ने कहा
इशारों इशारों में
डूब गए मधुशाला में
बिन सोचे
एक सोच में मगन
फिर से यूँही बैठे
और मन में चली एक आग
आग में एक राग
राग में एक शबनम
दिल में ढूंढ़ता हुँ एक सपना
शायद कोई बन जाये कोई अपना
।।।
नयी राह में
नयी चाह में
मैं चला
दिल को संभाले
दिल से दुर
नज़्में में उसे देखता बस
फिर कँही फिर से मुलाक़ात की ख्वाहिश
नयी राह में पुरानी राह को प्यार से देखता
।।।
तबीयत मेरी
उदास सी थी
फिर तूने इसमें
रंग घोल दिया
बेरंग मैं
रंगमय हो गया
और जीना
फिर से आसान हो गया
तेरे रंग से
अपनी  आवारगी में तुझको खोया
अब नज़र से दूर
हमनज़र में पाया
जिंदगी की ख़ास
तालाब के पास
ढूंढ़ता एक कहानी
तितली के रंगों को देख के
रंग बिरंगा हो गया एक ही पल में
पल दो पल
और ठेहर गया
कहानी को याद में लिए
फिर से खोया
फिर
न जागा न सोया
ईश्क़ की तलाब
तालाब की ताल में
।।।
वो दर्द में है
वक़्त से लड़ रही है
और वक़्त कोसो दूर
एक फ़रियाद लिए
दरबदर भटक गया है
किसी तरह वह
वक़्त से जीत जाये
और
जिंदगी को जिये
फिर से खुशी में
।।।
वक़्त बीता
मैं न भुला
तुझे

अब भी
उसी वक़्त में हु
तेरा इंतज़ार कर रहा हु

क्या पुराने वक़्त में
हम दोनों जा सकते हैं?
मैं ज़माने से दूर
ज़ाम ऐ दिल
वक़्त से लड़ता
कुछ समय और कहता
कहते कहते।।।
सारा का सारा वक़्त ज़ाया कर देता
और
दिल की डोर को ढूँढ़ता
नदियों से बाते करता
थोड़ा हँसता
थोड़ा रुक जाता
वक़्त को न समझता
प्यार को निहारता
और
डूब जाता
गहराई में
।।।
तुम हो न मेरे साथ
जब मैं भी न हु खुदके साथ
।।।
तुम्हारी सादगी में
फ़िदा मैं
कब मिलु
तुम ही बताओ
फिरहाल मैं जिन्दा हूँ
।।।
सोचा
फिर सोचा
क्
की जैसा चल रहा है
चलने देता हूं
नाजाने कब किस्मत बदल जाये
और बादल फिर से ज्यादा घूमने लगा
मैं घूमने चला गया।।।बिना सोचे समझे।।
तुम कन्हा हो
मेरी नींद
मेरी चैन
मैं तेरी याद में
खुद को याद कर रहा हुँ
जैसे की नीला अम्बर।।।
और प्यार की बूंदों में
वह नए नए रास्ते में घूमना
पलकों में ईश्क़
और मस्ती की महक़
और
तितली की तरह
बावरा भवरा मैं
चले प्यार में
चलते चलते
हँसी  दिल  में लिए
।।।

— The End —