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Apr 28
कल बैठे बैठे आँखें भर सी आईं,
तारों की रौशनी में जब तेरी यादें लौट सी आईं।
अब सोचकर खुद से पूछता हूँ मैं,
क्या वो एक ख़्वाब थी — जो सिर्फ़ मेरे सपनों में आई?

अगर ऐसा है तो उस ख़्वाब से जगाना ना तुम मुझे,
उसी ख़्वाब के साथ मर जाने दो मुझे।
क्योंकि अब उस संसार से क्या ही रिश्ता-नाता हमारा,
जिस संसार ने तुम्हारी आवाज़ सुनी ही ना।

जिन ज़ुल्फ़ों को हवा ने सँवारा ही नहीं,
जिन आँखों को चिड़ियों ने गवारा ही नहीं।
उनसे हम क्या ही बात करें,
वो दिखती कैसी थी — हम क्या ही बयां करें।
Written by
Still Smiling  M
(M)   
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   Blue Sapphire and Khoisan
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