बीच रात मैं सताया एक ख्वाब , कर गया नींद को पूरा बर्बाद। अब जाग ही गए तो कैसे सोये , करवट बदल - बदल हम बैचैन होये । मसनद से कह डाली दिल की बातें , मेहबूब मान उसे हम रोते रहे रातें। उस ख्वाब ने जो दर्द जगाया , तन्हाई को और बढ़ाया।
A dream disturbed my sleep, leaving me restless and lost in thought, Awakening old wounds, it deepened my loneliness through the night.