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Jan 18
याद कर वो दिन जब मेरे दीदार के लिए तेरी आंखें तरसती थीं,
मेरी बेपरवाही पर तेरी वही आंखें आंसुओं से बरसती थीं,
न जाने आज फिर वही दस्तूर है,
मिल गई हूं तुझे तो फिर वही आलम है,
उस आग में मैं अकेली ही हूं, जिसमें कभी तेरी मोहब्बत झुलसती थी।
Written by
Påłpëbŕå
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