अब लम्बी कविताओं का वक्त नहीं ना ही बचे हैं लम्बे रिश्ते शोसल मिडिया परोसता वासना के किस्से घरों में तड़प रहे मां - बाप से फरिश्ते किताबें कोई छुता नहीं,डिजिटल बोर्ड टंगे दीवार ज्ञान कोई लेता नहीं , डिग्रियां बिकती सस्ते शारीरिक श्रम से विश्वास हटा,रोग मिले महंगे मशीनों के सहारे ही अब कट रहे हैं रस्ते।।