पानी में पैर डालकर प्रेमी जोड़े बैठे रहते थे दूर किनारे बैठकर हम भी सोचा यह करते थे पास नहीं तो क्या हुआ पानी तो एक ही है रोमांस तो सोच में है पास वाले तो संकोच में है उनके जाने के बाद उन्हीं सीढ़ियों पर कुत्ते आराम फरमाते थे देखकर उन कुत्तों को हम भी युधिष्ठिर बन जाते थे कहीं झील देखकर आज भी मन में उन दृश्यों को भूना लेते हैं और उम्र को झुठला देते हैं।।