Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Nov 2024
आज एक बार फिर 'डियर'
बोल कर उसने सितम कर दिया
उम्र को धक्का देकर पीछे कर दिया
दिल के महल में एक दिया जला‌ दिया
अंदाज उसका यह हमें भी भा गया
उम्र हमारी भी दिल फेंक वाली नहीं फिर भी
उम्र के इस बरगद में 'प्रेम पंछी' के लिए
कोटर बनाना अब और भी आसान हो गया।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
  122
 
Please log in to view and add comments on poems