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Nov 17
रुनझुन बजती टालियां, टच-टच हांकता ग्वाल
गधे पर छागल लदी, चले अकाल-सुकाल
रेगिस्तान में बस यही रौनक का पर्याय
बरसे या नहीं बरसे मेहनत तो लेते निकाल।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
56
 
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