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Oct 2024
एक तिकड़ी मंजी हुई
परवाह जिसको नहीं कोई
पत्तियों के खेल में मग्न
चेले  करते रांधा-पोई
अफसर तो फिर भी आये
ठाठ वैसे कहीं ना जोई
ठाकुर ठगाये वही कहलाए
कहावत यह सार्थक होई।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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