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Sep 2024
अभियंताओं का यह स्वर्णिम काल
धरती पर रहकर आकाश में धमाल।
यात्रा तो बस एक हवाई छलांग
समुद्र हो गये मानो चोड़े एक फर्लांग।
सूरज की रोशनी के ऊर्जा प्लांट
कम्प्यूटर ही करते अंग ट्रांसप्लांट।
धरती से आकाश ,आकाश से धरती
सिग्नल के द्वारा रोज बातें करती।
युद्ध के सामान इतने हल्के फिर भी
पलक‌ झपकते शहरों को मिटाते।
मोटर, कारें, रेलें अपने आप चलते
हम सौ मंजिल ऊंचे घरों में रहते ।
मोबाइल से हम सारे काम करते
कुछ तो इससे विदेशी दुल्हन लाते।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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