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Sep 2024
दिन तीस सितंबर के
शांति से निपटाय
शीत ज्यों ही आयसी
खाकर शरीर सुस्ताय।

अभी नीले का दौर है
आगे पतझड़ आय
जब तक बिस्तर छोड़िये
तब तक सूरज ढल जाय।

नीर आज लगे मनमोहन
लूं शरीर से लिपटाय
जैसे ही सितंबर जायसी
निकालूं इससे नजर चुराय।

शीत में जिनकी शादी होयसी
वह घोड़ी चढ़ जाय
मार्च आये आंख खुले  
असली मंजर दिख जाय।

# व्यंग
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
50
 
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