Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Aug 2024
नीचे पुदीना
ऊपर चेरी और खजूर
देख खरबूजा
मेरा बदला रंग हूजूर
बागों में सावन के पड़े हैं झूले
मेघ गरज रहे घनघोर
इन्द्रधनुष ने तोरण बनाया
अब आ जा मेरे चितचोर।

रिमझिम बारिश की बूंदें
चारों ओर मचा रही शौर
तेरी सूरत आंखों में आये
काम काज से मन भटकाये
देख बिजली के चपल इशारे
लगता तूने बुलाया है चोबारे।

सावन सूखी लकड़ी सरसे
देख यह मेरे नैना बरसे
बारिश में सूखा दिल दरिया
तू इसके भावों का जरिया
छुई मुई छूने पर‌ लगता
तूने नटखट शब्द उच्चारे
और मेरे चेहरे लालिमा उतरे।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
  83
 
Please log in to view and add comments on poems