नीचे पुदीना ऊपर चेरी और खजूर देख खरबूजा मेरा बदला रंग हूजूर बागों में सावन के पड़े हैं झूले मेघ गरज रहे घनघोर इन्द्रधनुष ने तोरण बनाया अब आ जा मेरे चितचोर।
रिमझिम बारिश की बूंदें चारों ओर मचा रही शौर तेरी सूरत आंखों में आये काम काज से मन भटकाये देख बिजली के चपल इशारे लगता तूने बुलाया है चोबारे।
सावन सूखी लकड़ी सरसे देख यह मेरे नैना बरसे बारिश में सूखा दिल दरिया तू इसके भावों का जरिया छुई मुई छूने पर लगता तूने नटखट शब्द उच्चारे और मेरे चेहरे लालिमा उतरे।।