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Jul 2024
बारिश की बूंदों की टप टप
लगता तू नहा रही छप छप
यह बादलों का गढ़ गड़ शौर
नशा मुझ पर करे घनघोर ।
काले बादल ज्यों तेरी
मदहोश करती जुल्फें
बढा रही हैं मेरी
शामों की उल्फतें।
भीनी धरती की खुशबू
लगता सेज बिछाई है तूने
यादों के इस मंजर में लगता है
तू व्याप्त मौसम की इस रवानी में ।
ऐसे में जब बिजली चमके
होश में लाती मुझको
हसीन यादों से जुदा करके
खंजर घोंपती मुझको।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
57
 
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