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Jun 26
अब उन यादों का भी मोल नहीं
वो गलियां और चोबारे भी रहे नहीं
गुजरते हैं उधर से तो तुलसी, केवड़े
की खूशबू नहीं
तेरे कदमों की आहट की भी
अब  वहां कोई आशा नहीं।।

वो तेरा देखकर भी अनदेखा करना
शताब्दी की तरह से गुजरना
चेहरे से ज्यादा तेरी चाल पर मरना
एक बार देखकर पूरे दिन तरोताजा रहना
अब कहां नसीब में है
मिल भी जाओ तो अब वो आंखें कहां।।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
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