अब उन यादों का भी मोल नहीं वो गलियां और चोबारे भी रहे नहीं गुजरते हैं उधर से तो तुलसी, केवड़े की खूशबू नहीं तेरे कदमों की आहट की भी अब वहां कोई आशा नहीं।।
वो तेरा देखकर भी अनदेखा करना शताब्दी की तरह से गुजरना चेहरे से ज्यादा तेरी चाल पर मरना एक बार देखकर पूरे दिन तरोताजा रहना अब कहां नसीब में है मिल भी जाओ तो अब वो आंखें कहां।।