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Mar 2024
चलो चुनावों की आज
बज गयी रणभेरी है
ना तेरी ना मेरी चलेगी
अब जनता की बारी है
पापड़ जैसे हल्की-हल्की
सिकती जनता हर दिन है
चुनावों में वह बनके लावा
हर पत्थर पिघला सकती है
भावनाओं के दोहन के
नीचे हर बार दब जाती हैं
देखो आजादी‌ के पिचहतरे
अब क्या गुल खिलाती है।।
Mohan Jaipuri
Written by
Mohan Jaipuri  60/M/India
(60/M/India)   
74
 
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