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Mar 2024
आज फिर दिल उदास है
लगता है तू मेरे पास है
फ़ैसला कोई अहम होगा
ऐसा हो‌ रहा आभास है।

ख्वाहिशों को लगी हैं सीढियां
बस तेरा ही‌ इंतजार है
कमियां जो कभी कचोटती थी
आज खड़ी बनकर कसूरवार हैं।

दीदार तेरा इतना अनोखा है
हर वस्तु में जैसे तू सुमार है
इल्तिज़ा बस इतनी सी है
मोती बन आंखों ना उतर जाना
आज होनी दृश्यों की भरमार है।
Mohan Sardarshahari
Written by
Mohan Sardarshahari  56/M/India
(56/M/India)   
  140
 
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